चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार -एक रिपोर्ट

                

                दोस्तों चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार के सामने है हमारे पीछे इसका चार नंबर गेट है जो बहुत सुंदर है यूनिवर्सिटी अंदर से भी उतनी ही सुंदर है, लोग यूनिवर्सिटी को देखने के लिए तरसते हैं। 


लेकिन क्या सच मे यूनिवर्सिटी सुंदर है?


यहां के वैज्ञानिक, छात्र, गैर शिक्षक कितने परेशान है ये हम सबको जरूर जानना चाहिए। यूनिवर्सिटी के अंदर दो गुट बने हुए हैं एक गुट जिसका नेतृत्व यूनिवर्सिटी के कुलपति BR कंबोज करते हैं इस गुट पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप, तानाशाही भरे फैसले करने के आरोप लगाते रहे हैं। इस गुट में निजी फायदा उठाने, विदेशी दौरों पर घूमने वाले, प्रमोशन का फायदा उठाने वाले शिक्षक व गैर शिक्षक है। तो वहीं जो दूसरा गुट है वो भ्रष्टाचार के खिलाफ बात करता है। यूनिवर्सिटी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए मेहनत करता है। ये गुट यूनिवर्सिटी को किसानों के लिए बचाना चाहता हैं। इनको समय-समय पर कुलपति के गुट द्वारा परेशान किया जाता है। कभी ट्रांसफर करने के नाम पर तो कभी SAR (वार्षिक रिपोर्ट) खराब करने के नाम पर परेशान किया जाता है। कुछ दिन पहले यूनिवर्सिटी के ही शिक्षक डॉ अशोक कुमार ने यूनिवर्सिटी गेट के बाहर 3 दिन तक प्रदर्शन किया था। जन मंच ने उस समय इस मसले की भी रिपोर्ट आपके सामने पेश की थी हमने उस समय ये बताया था कि यूनिवर्सिटी को किस तरह से धीरे-धीरे बर्बादी की तरफ ले जाया जा है, एक शिक्षक क्यो मजबूर हो गया यूनवर्सिटी के बाहर प्रदर्शन करने के लिए। उसी बदले की भावना से अब डॉ अशोक का भी ट्रांसफर कर दिया गया है। 


वर्तमान का मामला डॉक्टर दिव्या फोगाट जो यहां की युवा साइंटिस्ट थी उसकी मौत से जुड़ा है पिछले महीने ही डॉक्टर दिव्या फोगाट की मौत चंडीगढ़ के मैक्स हॉस्पिटल में बीमारी के चलते हो गई। 

बाहर से देखने में सबको लगेगा कि एक वैज्ञानिक बीमारी के कारण मर गई लेकिन

यूनिवर्सटी के शिक्षकों ने एक ज्ञापन कुलपति महोदय को दिया जिसमें उन्होंने डॉ दिव्या फोगाट की मौत के बारे में व यूनिवर्सिटी के तनावपूर्ण व डर के माहौल पर बात की

जब जन मंच ने डॉक्टर दिव्या फोगाट की मौत की जांच की और डॉक्यूमेंट खंगालेने की कोशिश की तो उनकी मौत बीमारी से न होकर यूनिवर्सिटी के सत्ता में विरजामन गुट द्वारा सांस्थानिक हत्या कहा जाए तो गलत नही होगा। 

डॉक्टर दिव्या जो महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक से एमएससी में गोल्ड मेडलिस्ट थी।

उनके एमएससी के गोल्ड मेडल होने से डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी नई दिल्ली द्वारा फैलोशिप भी प्रदान की गई।


डॉ दिव्या CCSHAU से Phd में भी गोल्ड मेडलिस्ट थी अपनी इसी बेहतरीन शिक्षा की बदौलत डॉक्टर दिव्या फोगाट को CCSHAU में ही शिक्षक की नौकरी मिल गई। डॉ दिव्या फोगाट जो बेहतरीन शिक्षक व शोधकर्ता थी। ईमानदारी से काम करती थी। उसकी इसी ईमानदारी से काम करना दूसरे गुट को रास नहीं आया।

डॉक्टर दिव्या जिसने 6 साल यहां पर शिक्षक के तौर पर काम किया उन्होंने गेहूं की पांच किस्म ईजाद करने में यहाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी काबलियत के कारण CI MMYT जो इंटरनेशनल स्तर पर कृषि शोध पर काम करती है उसने मेक्सिको में 6 महीने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए डॉ दिव्या को आमंत्रित किया ये आमंत्रण उसकी ईमानदारी से काम करने का जज्बा प्रदर्शित करता है। लेकिन CCSHAU प्रशांशन ने उसको मेक्सिको नहीं जाने दिया। ऐसे ही बांग्लादेश में भी उसको ट्रेनिंग का उसको दूसरा मौका मिला लेकिन बांग्लादेश में भी नहीं जाने दिया गया ऐसे ही एक प्रोजेक्ट जो बड़ी मेहनत करने के बाद वह यूनिवर्सिटी में लेकर आई उससे भी उसका नाम निकालकर दूसरे किसी डॉक्टर का नाम दे दिया गया। कितनी ही बार डॉ दिव्या को कारण बताओं नोटिस जारी किए गए, उसकी वार्षिक रिपोर्ट कैसे खराब की गई। ये हम आपको इस स्टोरी में दिखाएंगे। 


तो चलिए स्टोरी को सिलसिले वार समझने की कोशिश करते हैं डॉक्टर दिव्या जो MSC व PHD में गोल्डमेडलिस्ट थी। इसी काबिलियत के कारण उसको CCSHAU में शिक्षक की नौकरी मिल गयी। CIMMYT जो इंटरनेशनल स्तर पर कृषि में शोध कार्य करती है जिसको अनेक देशो ने मान्यता दी हुई है जिसका मुख्यालय मैक्सिको में है। CIMMYT ने गेंहू व मक्का में शोध के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 24 जून 2022 को भारत सरकार के DG-ICAR ( Director General of the Indian Council of Agricultural Research) को 6 महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 10 युवा वैज्ञानिको का प्रस्ताव भेजा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल वैज्ञानिको की उम्र 40 साल से कम हो व 6 मेल 4 फीमेल हो। ये प्रशिक्षण में शामिल होने का पैमाना था। प्रशिक्षण कार्यक्रम 6 महीने मैक्सिको में होना था। अब DG-ICAR द्वारा देश के अलग-अलग हिस्से से 10 वैज्ञानिको को उनकी काबलियत के अनुसार चुन लिया गया। CCSHAU से डॉ दिव्या फोगाट का नाम DG-ICAR ने नॉमिनेट कर ICAR करनाल को भेज दिया। ICAR ने नियम के अनुसार CCSHAU प्रशासन को नाम भेज दिया। 

लेकिन CCSHAU प्रशासन के काले कारनामे भी देखिए कैसे एक युवा व काबिल साइंटिस्ट को DG-ICAR के फैसले के बाद भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में नही जाने दिया गया। 


नियम के अनुसार डॉ दिव्या के डिपार्टमेंट में  DAC (डिपार्मेंटल अडवाइजरी कमेटी) के पास जब DG-ICAR का ये प्रस्ताव आया तो DAC ने इसको पास करके DR (डायरेक्टर आफ रिसर्च) के पास भजे दिया। DR ने इसको रजिस्ट्रार के पास भेज दिया। रजिस्टार ने वाइस चांसलर के पास भेज दिया। नियम के अनुसार अब वाइस चांसलर द्वारा अपनी यूनिवर्सटी की तरफ से डॉ दिव्या का नाम वापिस ICAR करनाल को भेजना था ताकि डॉ दिव्या इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हो सके। लेकिन वाइस चांसलर जो डॉ दिव्या की ईमानदारी व काबलियत से नफरत करता था उसने ICAR करनाल को वापिस जो पत्र भेजा वो चौकाने वाला था। वाइस चांसलर BR कम्बोज ने सभी नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए ICAR करनाल को जो पत्र भेजा उसमे डॉ दिव्या फोगाट की जगह रिटायरमेंट के नजदीक चल रहे डॉ O.P. बिश्नोई का नाम भेज दिया। VC के इस कारनामे से एक बार तो ICAR भी चोंक गया। ICAR करनाल ने 5 अगस्त 2022 को वापिस CCSHAU को मेल की व उसमे साफ शब्दों में यूनिवर्सिटी को लिखा कि डॉ दिव्या फोगाट को DG-ICAR ने नॉमिनेट किया है। इसके फैंसले को नही बदला जा सकता। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आपकी यूनवर्सिटी की तरफ से युवा व फीमेल वैज्ञानिक होना अनिवार्य है। OP बिश्नोई जो न युवा है और न ही फीमेल है। इसलिए आप दोबारा से डॉ दिव्या फोगाट के नाम को पास करके हमारे भेजिए। 

इसी दौरान डॉ दिव्या जब मैक्सिको दूतावास में अपने वीजा के लिए गयी तो उसको कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया। 


एक युवा साइंटिस्ट जिसका सपना होता है अपने कार्यक्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचना उसका सपना टूटना उस वैज्ञानिक का टूटना होता है। 

ये एक बार नही हुआ कुछ समय बाद जब बंग्लादेश में जाने का मौका मिला लेकिन उसको वहां भी नही जाने दिया गया। CIMMYT ने बांग्लादेश में 10 दिन की ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑर्गेनाइज किया उसमें एक बार फिर इसी प्रक्रिया के तहत डॉ दिव्या का नाम भेजा गया अबकी बार फिर डॉक्टर दिव्या को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने नहीं जाने दिया 1 मार्च को डॉ दिव्या फोगाट को बांग्लादेश जाना था अफसोस 3 तारीख को DAC मीटिंग बुलाती है कि डॉ दिव्या फोगाट को जाना है या नहीं जाना है। 


आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एशिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी होने का दावा करने वाली यूनिवर्सिटी CCSHAU हिसार अपने वैज्ञानिकों के साथ कैसा सलूक कर रही है डॉ दिव्या फोगाट ने फिर भी हार नहीं मानी डॉक्टर दिव्या फोगाट और डॉ विक्रम सिंह कालीरामण अपनी मेहनत के दम पर एक प्रोजेक्ट IIWBR (विट एंड बारले) करनाल से गेहूं व मक्का पर शोध के लिए अपनी यूनिवर्सिटी में एक प्रोजेक्ट लाने के लिए वह बहुत ज्यादा मेहनत करते हैं जहां से प्रोजेक्ट लाया जाता है वहां पर इंटरव्यू देते हैं कन्वेंस करते हैं IIWBR को कि आप CCSHAU में पैसा लगाइए हम इस प्रोजेक्ट पर काम करेंगे दोनों साइंटिस्ट अपनी काबिलियत के दम पर प्रोजेक्ट यूनिवर्सिटी में ले आते हैं। लेकिन एक  फिर से यूनिवर्सिटी का खेल देखिए कुलपति महोदय या यूनिवर्सिटी प्रशासन उस प्रोजेक्ट से डॉ दिव्या फोगाट का नाम बाहर कर देते हैं और प्रोजेक्ट हैड के तौर पर डॉ ओपी बिश्नोई का नाम उसमें डाल देते हैं और डॉ विक्रम सिंह को जूनियर बना देते है इसके साथ मे ही डॉ रेणु मुंजाल जो विदेशो में दौरे पर ज्यादा रहती है उनको भी इस प्रोजेक्ट में घुसा देते है। प्रोजेक्ट से बाहर करने के खिलाफ 2 बार उन्होंने डायरेक्टर ऑफ़ रिसर्च को की थी। 


डॉ दिव्या को उसके डिपार्टमेंट की वार्षिक कार्यशाला में जाने से रोका जाता रहा, इस साल की कार्यशाला जो अयोध्या में आयोजित हुई, जिसमे डॉ दिव्या के द्वारा ईजाद की गई गेहूं की वैरायटी को जारी किया गया। इस कार्यशाला में भी उसको नही जाने दिया गया। 

जब डॉ दिव्या इस नाइंसाफी के बारे में डीन से बात करती है तो डीन उनको कहता है कि ये सब वाइस चांसलर स्तर से हो रहा है। 


इतनी नाइंसाफी के बाद भी वाइस चांसलर महोदय के कलेजे को ठंडक नही मिली। उन्होंने डॉ दिव्या को परेशान करने के लिए उसके डिपार्टमेंट में सक्सेन हेड डॉ कर्मल मलिक को लगा दिया। CCSHAU के ही पुराने नियम के अनुसार सेक्शन हेड उसी डिपार्टमेंट का डॉ लग सकता था। लेकिन जानबूझकर ये नियम बदल दिया गया। डॉ कर्मल मलिक एग्रोनोमी डिपार्टमेंट के होते हुए उसको डॉ दिव्या को परेशान करने के लिए विट एंड बारले में सक्सेन हेड लगा दिया गया। 


डॉ दिव्या फोगाट गंभीर बीमारी से ग्रसित थी उसमें उनके डॉक्टरों ने साफ बोला था कि इसमें अगर आप दिमागी तौर पर परेशान हुए तो आप मौत की तरफ भी जा सकते हो यूनिवर्सिटी प्रशासन को भी उस बीमारी का मालूम था उसके बाद भी लगातार डॉक्टर दिव्या फोगाट को परेशान किया जाता रहा उसके सपनों को तोड़ा जाता रहा। यूनिवर्सिटी के व्हाटसअप ग्रुपो में डॉ दिव्या फोगाट इन सब मुद्दों पर मजबूती से बात करती रही। डॉ दिव्या चाटुकारिता करने वालो के खिलाफ लिखती है, वो नकली आवार्ड के खिलाफ लिखती। नकली आवार्ड पर जन मंच ने स्टोरी की थी वो भी जरूर आप सबको देखनी चाहिए। डॉ दिव्या जो गर्ल्ज होस्टल वार्डन भी थी होस्टल में कैसे सुरक्षा के नाम पर युवा गार्ड लगा दिए गए है जिससे लड़कियों को परेशानी होती है वो वहां कम्फर्ट नही हो पा रही है। इन सब मुद्दों पर वो व्हाट्सएप ग्रुपो में लगातार लिखती रही है।


लेकिन वाइस चांसलर महोदय ओर उसके गुट की तानशाही यही नहीं रुकी। 

9.10.2024 को दलहन विभाग के टेक्निकल ट्रेनिंग प्रोग्राम होता है। डॉ कर्मल मलिक डॉ दिव्या की ड्यूटी उस कार्यक्रम में लगाते है। कार्यक्रम का समय सुबह 9.30 से 12 बजे तक है। ये सब जानते हुए डॉ कर्मल मलिक उसी दिन 11 बजे गेहूं व जौ अनुभाग के लिए टेक्निकल कार्यक्रम की मीटिंग बुला लेते है। डॉ दिव्या फोगाट अपनी ड्यूटी के अनुसार दलहन विभाग के कार्यक्रम में रहती है लेकिन जब उसको दूसरे कार्यक्रम की मीटिंग की जानकारी मिलती है तो वो वहां भी 5 मिनट के लिए पहुंच जाती है। मीटिंग में डॉ कर्मल मलिक उसको नही मिलते है।


अब अगले दिन डॉ कर्मल मलिक जानबूझ कर डॉ दिव्या को कारण बताओ नोटिस भेज देते है कि वो मीटिंग सिर्फ 2 से 3 मिनट के लिए ही क्यों पहुंची। जबकि डॉ मलिक जानते थे कि डॉ दिव्या फोगाट की खुद उसी ने ड्यूटी दूसरे कार्यक्रम में लगाई हुई है। 

डॉ दिव्या फोगाट डायरेक्टर रिसर्च को पत्र लिखती है जिसमे वो साफ डॉ कर्मल मलिक पर मानसिक उत्पीड़न करने का गम्भीर आरोप लगाती है। पत्र में वो कर्मल मलिक द्वारा बेवजह कारण बताओ नोटिस देने का, अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का, गेहू शोध में मदद के लिए मजदूर उपलब्ध न करवाने का साफ-साफ आरोप लगाती है। डॉ दिव्या फोगाट डॉ कर्मल मलिक के मानसिक टॉर्चर के कारण इतनी ज्यादा मानसिक परेशान हो जाती है कि उसको PGI रोहतक में 16 अक्टूबर को एडमिट होना पड़ता है। 


PGI रोहतक में एडमिट के दौरान जब डॉ दिव्या यूनिवर्सिटी में ऑनलाइन छुट्टी के लिए अप्लाई करती है तो उसमें वो साफ लिखती है कि डॉ कर्मल मलिक के अत्यधिक परेशान करने के कारण उसको मानसिक परेशानी हुई है मानसिक परेशानी के कारण उसको अत्यधिक रक्त स्त्राव हो गया है जिसके कारण वो PGI रोहतक में एडमिट हो गयी है इसलिए उसको छुट्टी दी जाए। 18 अक्टूबर को CCSHAU में तकनीकी कार्यक्रम होता है डॉ दिव्या इस डर से की अगर वो शामिल नही हुई तो फिर कर्मल मलिक उसको कारण बताओ नोटिस जारी करेगा वो बीमार होते हुए भी उस कार्यक्रम में पहुंचती है। मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा था मानसिक तनाव के कारण डॉ दिव्या मौत के करीब जा रही थी। लेकिन तानशाह को थोड़ा सा भी रहम उस मासूम पर नही आया।


आखिरी समय उसकी बहन ने उसको मैक्स हॉस्पिटल चंड़ीगढ़ एडमिट करवा दिया। लेकिन अफसोस गोल्ड मेडलिस्ट होनहार डॉ दिव्या फोगाट नही रही। उसकी जान नही बचाई जा सकी। भेडियो के झुंड उस अकेली लड़की का शिकार करने में कामयाब हो गया। 27 अक्टूबर को डॉ दिव्या की मौत हो गयी।

लेकिन इससे भी बड़ा अफसोस CCSHAU में पढ़ने व पढ़ाने वाले छात्रों-शिक्षकों या गैर शिक्षकों पर है जो डॉ दिव्या फोगाट की मौत पर चुप्पी साधे हुए है। 


उससे भी ज्यादा अफसोस परिवार व सिविल सोसाइटी पर है जो डॉ दिव्या फोगाट की सांस्थानिक हत्यारे जेल की सलाखों के पीछे हो कुछ नही कर पा रहे है।

 

डॉ दिव्या फोगाट का ये व्हाट्सएप MSG जरूर सबको देखना चाहिए - की व्यक्तियों को कुचल कर विचारो को नही मारा जा सकता - भगत सिंह 


ऐसे ही एक Msg में वो लिखती है रावण का होगा अंत



आज की रिपोर्ट के आखिरी में उसका ये msg उनके लिए जिन्होंने उसके जीने की आजादी छीन ली 

क्या गीता पाठ करवाने से कुकर्म धूल जायेगे। 



दोस्तो जन मंच एक बार फिर से हाजिर होगा एक नई रिपोर्ट के साथ तब तक के लिए अलविदा


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