अवैध गिरफ्तारी के आईने में…
मै भी यह देख कर दंग रह गया कि सभी थालियाँ जूठी थी और सूख चुकी थी। थाली साफ़ करने के लिए वहां कुछ नहीं था। कुछ कैदियों ने थालियाँ वापस रख दी और बिना खाए ही बैरक में चले गए. मेरे मन में भी यही आया। लेकिन मैंने सोचा कि अब तो यही जिंदगी है। कितने दिन बिना खाए रहूँगा। यूपी एटीएस ने 5 जनवरी को इलाहाबाद स्थित मेरे घर से मुझे गिरफ्तार करके अगले दिन जब लखनऊ कोर्ट में पेश किया तो उस दिन ठंड बहुत ज्यादा थी। मुझे चाय की बहुत तलब लग रही थी। अमिता, विश्वविजय सहित मेरे वकील और कुछ दोस्त आ चुके थे। इसलिए मैं रिलैक्स था। कोर्ट में चाय बेचने वाले से मैंने अपने लिए चाय मांगी। मुझे कटघरे में खड़े देख पहले वह थोड़ा सकुचाया फिर चारों तरफ कनखियों से देखकर धीमे से बोला - ‘’यहाँ मुलजिमों को चाय पिलाने की मनाही है।’’ यह सुनकर मुझे करंट जैसा लगा. रातों रात मैं एक अपराधी में तब्दील हो गया?? मैंने भी चारों तरफ नज़र घुमाई। तमाम एटीएस के लोग, सरकारी वकील भीषण ठंड में दोनों हाथों से चाय का कु...